सकल धर्म को मूल हैं , एक कृष्ण भगवान्।
मूल तजे सब शूल हैं , कर्म , योग अरु ज्ञान।।६५।।
भावार्थ - समस्त धर्मों का मूलाधार श्रीकृष्ण ही हैं। शेष सब शाखा , उपशाखा , पत्र , पुष्पादि के समान हैं यदि मूल काट दिया जाय तो शेष सब ढह जायेंगे।
मूल तजे सब शूल हैं , कर्म , योग अरु ज्ञान।।६५।।
भावार्थ - समस्त धर्मों का मूलाधार श्रीकृष्ण ही हैं। शेष सब शाखा , उपशाखा , पत्र , पुष्पादि के समान हैं यदि मूल काट दिया जाय तो शेष सब ढह जायेंगे।
भक्ति शतक (दोहा - 65)
----जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
(सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति)
----जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
(सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति)
No comments:
Post a Comment