इस
धराधाम पर अनन्त बार श्रीहरि के अवतार हुये परन्तु अपने मन के दोष के कारण
यह जीव कभी उनकी कृपा का पात्र नहीं बन सका ! ब्रह्म श्रीकृष्ण को भी यहाँ
चोर - जार की उपाधि से विभूषित किया गया ! श्रीकृष्ण के अवतार काल में
मिथ्या वासुदेव भी था जिसने दो नकली भुजाएं लगा ली थीं ! उनके श्रीकृष्ण के
पास संदेश भेजा था कि असली वासुदेव मैं हूँ , तुम नहीं हो !
..........श्री महाराज जी।
..........श्री महाराज जी।
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