हम
लोगो ने अनादी काल से अब तक एक गलती कि की अपने को शरीर मान लिया और शरीर
के माँ-बाप,भ्राता, सखा, पुत्र आदि को अपना मान लिया. अब इस गलती को समाप्त
करना है. हमारे सब कुछ श्री कृष्ण है. वेद कहता है।
अमृतस्य वै पुत्राः
अर्थात सभी जीव एकमात्र श्री कृष्ण के पुत्र ही है. इतना ही नहीं वरन वेद कहता है की श्री कृष्ण ही जीव के पिता, माता, भ्राता, सखा, पुत्र, प्रियतम, गति आदि सब कुछ है।
केवल श्रीकृष्ण सुखैक भक्ति ही तुम्हारा चरम लक्ष्य है। हमारी माता, पिता,भ्राता,प्रियतम सब नाता श्री कृष्ण भगवान से ही रखना है, संसार से नहीं, संसार में मन का प्रवेश न होने पावे।
अमृतस्य वै पुत्राः
अर्थात सभी जीव एकमात्र श्री कृष्ण के पुत्र ही है. इतना ही नहीं वरन वेद कहता है की श्री कृष्ण ही जीव के पिता, माता, भ्राता, सखा, पुत्र, प्रियतम, गति आदि सब कुछ है।
केवल श्रीकृष्ण सुखैक भक्ति ही तुम्हारा चरम लक्ष्य है। हमारी माता, पिता,भ्राता,प्रियतम सब नाता श्री कृष्ण भगवान से ही रखना है, संसार से नहीं, संसार में मन का प्रवेश न होने पावे।
--------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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