संसार
के अभाव से वैराग्य है अगर, तो वो संसार का वैराग्य नहीं है, जेसे आपके
पास धन नहीं है, और धन से वैराग्य है, जेसे आपको बेटा नहीं हे और बेटे से
वैराग्य है, तो यह सही वैराग्य नहीं है। यह तो संसार के अभाव से वैराग्य है
, संसार से वैराग्य नहीं है। सही वैराग्य तो तब माना जायेगा जब आपके पास
सब कुछ हो जैसे माँ भी हो, बाप भी, बेटा भी हो, धन भी हो और आप समझे रहें
की यह सब मिथ्या है। यह है सच्चा वैराग्य।
------श्री महाराजजी।
------श्री महाराजजी।
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