"काम क्रोध मद लोभ तजहु जनि , भजहु तिनहिं दिन रात"।।
अब कामना यह हो की श्याम सुन्दर मुझे कब मिलेंगे? क्रोध यह हो कि उनके मिलन बिना व्यर्थ में जीवन बीता जा रहा है , लोभ यह हो कि उनसे मेरा निष्काम प्रेम बढ़ता ही जाये। मद यह हो कि हम उनके दास हैं। इस प्रकार सभी कामनाओ को श्याम चरणों में समर्पित करने से और रो रो कर उन्हें पुकारने से हमारा अन्तःकरण शुद्ध हो जायेगा।
..........जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
अब कामना यह हो की श्याम सुन्दर मुझे कब मिलेंगे? क्रोध यह हो कि उनके मिलन बिना व्यर्थ में जीवन बीता जा रहा है , लोभ यह हो कि उनसे मेरा निष्काम प्रेम बढ़ता ही जाये। मद यह हो कि हम उनके दास हैं। इस प्रकार सभी कामनाओ को श्याम चरणों में समर्पित करने से और रो रो कर उन्हें पुकारने से हमारा अन्तःकरण शुद्ध हो जायेगा।
..........जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
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