राधे राधे बोल नित , करू राधे को ध्यान।
ऐहैँ निज गोलोक तजि , भाजत श्याम सुजान।।८०।।
भावार्थ - निरंतर श्री राधिका का ध्यान करते हुए उनका नामादि संकीर्तन करो। इसी साधना से श्यामसुंदर बिना बुलाये भागे भागे अपना लोक छोड़कर आ जायेंगे। राधे नाम से श्यामसुन्दर को इतना अनुराग है।
ऐहैँ निज गोलोक तजि , भाजत श्याम सुजान।।८०।।
भावार्थ - निरंतर श्री राधिका का ध्यान करते हुए उनका नामादि संकीर्तन करो। इसी साधना से श्यामसुंदर बिना बुलाये भागे भागे अपना लोक छोड़कर आ जायेंगे। राधे नाम से श्यामसुन्दर को इतना अनुराग है।
भक्ति शतक (दोहा - 80)
-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
(सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति)
-जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
(सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति)
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