साधना में बाधक तत्व.......... परदोष दर्शन।
परदोष - चिंतन करना ही स्वयं के सदोष होने का पक्का प्रमाण है।
दूसरों में दोष देखने से दो हानि होती हैं। एक तो वो दोष मन में आयेगा और हमारे मन को गन्दा करेगा। नंबर दो दूसरे में दोष देखने से अपने में अहंकार आयेगा। ऐसे ही अहंकार कम है क्या ?
ये अहंकार ही तो हमें चौरासी लाख योनियों में घुमा रहा है।
परदोष - चिंतन करना ही स्वयं के सदोष होने का पक्का प्रमाण है।
दूसरों में दोष देखने से दो हानि होती हैं। एक तो वो दोष मन में आयेगा और हमारे मन को गन्दा करेगा। नंबर दो दूसरे में दोष देखने से अपने में अहंकार आयेगा। ऐसे ही अहंकार कम है क्या ?
ये अहंकार ही तो हमें चौरासी लाख योनियों में घुमा रहा है।
------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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