अवध के राम बने ब्रज श्याम |
लखन बने बलराम जानकी, राधारानी नाम |
त्रेता में बड़भ्रात राम भये, द्वापर में बलराम |
मुकुट, ग्रीव, कटि, पद टेढ़ो करि, प्रकटे चंचल राम |
योगारूढ़ जीव हित कीन्ही, लीला रास ललाम |
पग पलुटावति सदा जानकी, रामहिँ येहि ब्रजधाम |
इनमें भेद ‘कृपालु’ मान जो, नरकहुँ नाहीं ठाम ||
लखन बने बलराम जानकी, राधारानी नाम |
त्रेता में बड़भ्रात राम भये, द्वापर में बलराम |
मुकुट, ग्रीव, कटि, पद टेढ़ो करि, प्रकटे चंचल राम |
योगारूढ़ जीव हित कीन्ही, लीला रास ललाम |
पग पलुटावति सदा जानकी, रामहिँ येहि ब्रजधाम |
इनमें भेद ‘कृपालु’ मान जो, नरकहुँ नाहीं ठाम ||
भावार्थ - अयोध्या के भगवान राम ही ब्रज में श्याम बनकर प्रकट हुए |
लक्ष्मण जी बलराम बन गये एवं श्री जानकी जी राधारानी के नाम से प्रख्यात
हुईं | त्रेता में बड़े भाई राम हुए एवं द्वापर में बड़े भाई बलराम हुए |
भगवान राम ब्रज में मुकुट, गर्दन, कमर एवं पैरों को टेढ़ा करके चंचल स्वभाव
से प्रकट हुए एवं मायातीत जीवों के लिए आदर्श स्थापित करते हुए दिव्य
रासलीला का अभिनय किया | ब्रज में श्री जानकी जी ने भगवान राम से अपने चरण
दबवाये | ‘श्री कृपालु जी’ कहते हैं कि इन दोनों में जो भेदभाव रखता है वह
नामापराधी है, उसको नरक में भी स्थान नहीं मिल सकता |
( प्रेम रस मदिरा सिद्धान्त - माधुरी )
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति
( प्रेम रस मदिरा सिद्धान्त - माधुरी )
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज
सर्वाधिकार सुरक्षित - राधा गोविन्द समिति
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