साधक
जब तक पूर्ण श्रद्धायुक्त नहीं होगा , वो ज्ञान का ग्रहण नहीं कर सकता।
अगर पूर्ण श्रद्धा नहीं है, संशय है तो उसका सर्वनाश सुनिश्चित है। यानि वो
संत पर दुर्भावना कर बैठेगा।
यह बाबाजी कैसे हैं? कैसे हैं? सोचेगा, जैसा हम चाहते हैं, ऐसा बाबा होना चाहिये। हर आदमी इतना बड़ा मूर्ख है कि वो अपनी राय के अनुसार संत चाहता है।
------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
यह बाबाजी कैसे हैं? कैसे हैं? सोचेगा, जैसा हम चाहते हैं, ऐसा बाबा होना चाहिये। हर आदमी इतना बड़ा मूर्ख है कि वो अपनी राय के अनुसार संत चाहता है।
------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाप्रभु।
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