ओरे मोरे मन, राधिका रमन, निशि दिन गुन गन गाये जा। छिन छिन नेह बढ़ाये जा। पल पल प्रेम बढ़ाये जा।
वह जीवन क्या जीवन जिसमें , जीवन धन से प्यार न हो, है वह प्यार, प्यार क्या जिसमें ,पियसुख में बलिहार न हो।
श्यामा श्याम मिलन हित, नित प्रति,नैनन नीर बहाये जा। मन गोविंद गुन गाये जा।
वह जीवन क्या जीवन जिसमें , जीवन धन से प्यार न हो, है वह प्यार, प्यार क्या जिसमें ,पियसुख में बलिहार न हो।
श्यामा श्याम मिलन हित, नित प्रति,नैनन नीर बहाये जा। मन गोविंद गुन गाये जा।
----- जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
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