श्री महाराजजी के श्रीमुख से:
एक बात है बड़ी इंपोर्टेंट(IMPORTANT)। हरि- गुरु को अपने साथ सर्वत्र ,सर्वदा महसूस करो। इसका अभ्यास करो। दस दिन ,बीस दिन, महीने, छ: महीने में यह अभ्यास पक्का हो जायेगा कि हम अकेले नहीं हैं। हम जहां अपने को अकेला मानते हैं वहीं पाप कर बैठते हैं - प्राइवेट। अरे, वेद कहता है, अगर तुम गुरु को न भी मानो तो भगवान को तो मानो कि अंत:करण में वो नित्य हमारे साथ है, हमारे आइडिया नोट कर रहा है। तो हरि-गुरु को अपने साथ अपना रक्षक मानो। यह फीलिंग हो - हम अकेले नहीं हैं,सदा वे हमारे साथ है।गलत काम न करें ,गलत चिंतन न करें । सावधानी आयेगी तो अपराध से बचेंगे।
एक बात है बड़ी इंपोर्टेंट(IMPORTANT)। हरि- गुरु को अपने साथ सर्वत्र ,सर्वदा महसूस करो। इसका अभ्यास करो। दस दिन ,बीस दिन, महीने, छ: महीने में यह अभ्यास पक्का हो जायेगा कि हम अकेले नहीं हैं। हम जहां अपने को अकेला मानते हैं वहीं पाप कर बैठते हैं - प्राइवेट। अरे, वेद कहता है, अगर तुम गुरु को न भी मानो तो भगवान को तो मानो कि अंत:करण में वो नित्य हमारे साथ है, हमारे आइडिया नोट कर रहा है। तो हरि-गुरु को अपने साथ अपना रक्षक मानो। यह फीलिंग हो - हम अकेले नहीं हैं,सदा वे हमारे साथ है।गलत काम न करें ,गलत चिंतन न करें । सावधानी आयेगी तो अपराध से बचेंगे।
No comments:
Post a Comment