मेरी स्वामिनी श्यामा प्यारी,यह जीवन उन पर वारी।
मेरी स्वामिनी अस रस वारी,लखि रसिक शिरोमणि वारी।
मेरी अस वृषभानुदुलारी, रह चाकर बनि बनवारी।
मेरी प्यारिहिं लखत बिहारी,भूलत भगवत्ता सारी।
मेरी स्वामिनी लखि अस वारी,हरि कह जय जय बलिहारी।।
------ जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज।
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