Sunday, March 5, 2017

कामना करना हमारा स्वभाव है:
आनन्द पाना हमारा स्वभाव है, इसलिये कामना बनाना भी हमारा स्वभाव है । पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ हैं, इन्हीं की पाँच कामना होती है अर्थात् देखने, सुनने, सुँघने, रस लेने, और स्पर्श करने की कामना । अज्ञानी संसार की कामना करता है और ज्ञानी भगवान् की कामना करता है।
----- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।


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