भगवत्कृपा
का सबसे पक्का प्रमाण, भगवज्जन मिलन है, कृपा से लाभ लेना तभी संभव है, जब
इस कृपा को बार-बार चिन्तन में लाया जाय। भगवज्जन का यदि दर्शन मात्र
प्राप्त हो जाय तो बार-बार चिन्तन कर आनन्द विभोर होना चाहिए । क्योंकि
उसके दर्शन को पाने या दिलाने की सामर्थ्य किसी भी साधना में नहीं है । यदि
दर्शन के अतिरिक्त और भी सामीप्य मिल जाय फिर तो बात ही क्या है । यदि उस
अमूल्य निधि को पाकर भी साधारण भावना या चिन्तन रहा तो महान् कृतघ्नता एवं
महान् दुर्भाग्य ही होगा, क्योंकि इससे अधिक हमें क्या पाना शेष है ।
.......जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
.......जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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