Friday, March 14, 2014

यह समझे रहना है की हमारे प्रेमास्पद श्री कृष्ण सर्वत्र है एवं सर्वदा है ।विश्व में एक परमाणु भी ऐसा नहीं है, जहाँ उनका निवास न हो। जैसे तिल में तेल व्याप्त होता है ऐसे ही भगवान भी सर्वव्यापक है। उनको कोई भी स्थान या काल अपवित्र नहीं कर सकता।वरन वे ही अपवित्र को पवित्र कर देते है।

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