भगवान
के समस्त नाम, समस्त गुण, समस्त लीला, समस्त धाम एवं उनके समस्त भक्त
परस्पर एक हैं। एक के प्रति दुर्भाव करना सभी के प्रति दुर्भाव करना है।
समस्त महापुरुष एवं भगवान के समस्त अवतार भी परस्पर अभिन्न हैं। ऐसा
तत्त्वज्ञान सदा के लिए हृदय में अंकित कर लेना चाहिए।
-------श्री महाराज जी।
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