करोड़ों
कल्प चौरासी लाख में घूमना पड़ेगा। अनन्त जन्म घूम चुके , आगे भी घूमना
पड़ेगा। हमारी जिद्द नहीं काम देगी। ए जी ---हम झगड़े में नहीं पड़ते। जो
मन में आता है वो करते हैं। ठीक है।।
जीव कर्म करने में स्वतन्त्र है। मन में आये सो करते जाओ लेकिन फल भोगने में परतंत्र है। फल भोगना पड़ेगा , भगवान् के अनुशासन के अनुसार। वहाँ नहीं चलेगी।
हम नहीं भोगते जी ......... न --जो जस करइ सो तस फल चाखा।
इसलिए सावधान होकर उधार न कर के हम लोगों को साधना में तत्पर हो करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।
-----जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी।
जीव कर्म करने में स्वतन्त्र है। मन में आये सो करते जाओ लेकिन फल भोगने में परतंत्र है। फल भोगना पड़ेगा , भगवान् के अनुशासन के अनुसार। वहाँ नहीं चलेगी।
हम नहीं भोगते जी ......... न --जो जस करइ सो तस फल चाखा।
इसलिए सावधान होकर उधार न कर के हम लोगों को साधना में तत्पर हो करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।
-----जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी।
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