आप
लोग शायद नहीं जानते आपके ह्रदय में भगवान् नित्य रहते हैं , लेकिन कोई
फायदा नहीं ! सुनते हैं रहते हैं , रहते हैं अब आइडियाज (ideas) नोट करते
हैं ! हाँ मानते नहीं ! अगर मान लें तो पाप कैसे करें ?अगर मान लें कि वो
हमारे ह्रदय में हैं तो हम प्राइवेसी (privacy) जो रखते हैं अपनी , अपनी
बीबी के खिलाफ सोच रहे हैं उसके बगल में बैठ कर , आपने ही बाप के खिलाफ सोच
रहे हैं उसके ही पास में बैठ कर , अपने ही गुरु के खिलाफ भी सोचने लगते
हैं , उन्ही के सामने बैठ कर के ! और तो और भगवान् को भी नहीं छोड़ते ! ये
क्या भगवान् भगवान् भगवान् लगा रखा था ! उसके नौ बच्चे थे दसवाँ हुआ है आज !
हमारे एक बच्चा था मर गया ! क्या भगवान् का न्याय है तुम्हारे ! इसमें
भगवान् क्या करें भाई ? ये तो तुम्हारे कर्म के हिसाब से फल मिलता है !
लेकिन अल्पज्ञ जीव अपनी अल्पज्ञता का स्वरूप दिखा देता है।
..........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
..........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
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