Friday, September 6, 2013

सब धामन वारो वृन्दावन पै, औ वृन्दावन हूँ गुरुधाम पै वारो।

जो गुरु के पद प्रीति जुरी तो, भज्यों चलि आवेगो ब्रह्म बिचारो।

हैं हरि निर्मल भक्तन को, गुरु हैं अधमों को उधारन हारो।

औरन को गुरु हों या न हों, गुरु मेरो 'कृपालु' सुभाग हमारो।।

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