प्रेम
को परखना तो बड़ी मेहनत का काम है, लेकिन फिर भी असंभव नहीं अगर कोई
स्वार्थ रहित हो जाये तो। जब कि असंभव है वह भी। लेकिन ईश्वरीय प्यार में
तो अकल लगाने की जरूरत ही नहीं है कि उनका हमसे कितना प्यार है। जितनी
मात्रा में हमारा है उतनी मात्रा में उनको हमसे है यह सिद्ध है।
------श्री कृपालुजी महाप्रभु।
------श्री कृपालुजी महाप्रभु।
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