गुरु
का एक ही अर्थ है, जो तुम्हारी नींद तोड़ दे। और नींद का टूटना हमेशा दु:खद
है। जो भी तुम्हारी नींद तोड़ेगा, उसपर तुम नाराज़ होओगे, क्योंकि वह
तुम्हें बेचैनी में डाल रहा है। इसलिए गुरु शुरु में तो कष्टदायी मालूम
पड़ता है, दु:खदायी मालूम पड़ता है, परंतु बाद में परम सुखदायी है। — with Ghytri Harripersad.
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