"कुसंग"
संसार मे सत्य एवं असत्य केवल दो ही तत्व हैं जिनके संग को ही सत्संग एवं
कुसंग कहते हैं। सत्य पदार्थ हरि एवं हरिजन ही हैं,अतएव केवल हरि,हरिजन का
मन बुद्धि युक्त सर्वभाव से संग करना ही सत्संग है। तथा उसके विपरीत
अवशिष्ट विषय हैं,सत्वगुण,रजोगुण एवं तमोगुण से युक्त होने के कारण मायिक
हैं, अतएव असत्य हैं। तात्पर्य यह हुआ की जिस किसी भी संग के द्वारा हमारा
भगवदविषय मे मन बुद्धि युक्त लगाव हो वही सत्संग है। इसके अतिरिक्त समस्त
विषय कुसंग हैं ।
.......जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी।
संसार मे सत्य एवं असत्य केवल दो ही तत्व हैं जिनके संग को ही सत्संग एवं कुसंग कहते हैं। सत्य पदार्थ हरि एवं हरिजन ही हैं,अतएव केवल हरि,हरिजन का मन बुद्धि युक्त सर्वभाव से संग करना ही सत्संग है। तथा उसके विपरीत अवशिष्ट विषय हैं,सत्वगुण,रजोगुण एवं तमोगुण से युक्त होने के कारण मायिक हैं, अतएव असत्य हैं। तात्पर्य यह हुआ की जिस किसी भी संग के द्वारा हमारा भगवदविषय मे मन बुद्धि युक्त लगाव हो वही सत्संग है। इसके अतिरिक्त समस्त विषय कुसंग हैं ।
.......जगद्गुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी।
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