संसार
में जो सुख या दुःख हमें मिलता है, वो हमारा माना हुआ सुख या दुःख है।
वास्तविकता में संसार की किसी वस्तु या व्यक्ति में न सुख है, न दुःख। जिस
वस्तु में हम सुख मान लेते हैं, उस वस्तु के मिलने पर हमें सुख मिलता है और
यदि वो वस्तु न मिले या छिन जाये, तो हम दुःखी हो जाते हैं। अतः संसार में
सुख दुःख दोनों नहीं हैं। यदि हम कहीं सुख न मानें तो किसी से दुःख नहीं
मिलेगा।
------ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
------ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
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