हम
साधकों को सदा यही समझना चाहिए कि हमसे जो अच्छा काम हो रहा है, वह गुरु
एवं भगवान की कृपा से ही हो रहा है क्योंकि हम तो अनादिकाल से मायाबद्ध घोर
संसारी, घोर निकृष्ट, गंदे आइडियास(ideas) वाले बिलकुल गंदगी से भरे पड़े
हैं। हमसे कोई अच्छा काम हो जाये, भगवान के लिए एक आँसू निकल जाय, महापुरुष
के लिए, एक नाम निकल जाये मुख से, अच्छी भावना पैदा हो जाये उसके प्रति
हमारी यह सब उनकी ही कृपा से हुआ ऐसा ही मानना चाहिये। अगर वे सिद्धान्त न
बताते , हमको अपना प्यार न देते तो हमारी प्रवर्ति ही क्यों होती, कभी यह न
सोचो की हमारा कमाल है, अन्यथा अहंकार पैदा होगा , अहंकार आया की दीनता
गयी, दीनता गयी तो भक्ति का महल ढह गया। सारे दोष भर जाएंगे एक सेकंड में
इसलिए कोई भी भगवत संबंधी कार्य हो जाये तो उसको यही समझना चाहिये कि गुरु
कृपा है, उसी से हो रहा है ताकि अहंकार न होने पाये। अगर गुरु हमको न मिला
होता, उसने हमको न समझाया होता ,उसने अपना प्यार दुलार न दिया होता,
आत्मीयता न दी होती तो हम ईश्वर कि और प्रव्रत्त ही न होतें। अत: उन्ही की
कृपा से सब अच्छे कार्य हो रहें है ऐसा सदा मान के चलो।
-----------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज.
-----------जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज.
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