भगवान की उस रूप माधुरी का वर्णन कौन कर सकता है?वे एक बार जिसकी ओर प्रेम की नजर से देख लेते; उसीपर प्रेमसुधा बरसा कर उसे अमर कर देते,उसकी सारी विषयासक्ति को नष्ट कर अपना प्रेमी बना लेते। पंडित जगन्नाथ जी कहते हैं-
"रे चित्त!तेरे हित के लिए तुझे सावधान किये देता हूँ। कहीं तू उस वृन्दावन में गाय चराने वाले,नवीन नील मेघ के सामान कान्ति वाले छैल को अपना बंधू न बना लेना,वह सौन्दर्य रूप अमृत बरसाने वाली अपनी मंद मुस्कान से तुझे मोहित करके तेरे प्रिय समस्त विषयो को तुरंत नष्ट कर देगा।"
जय श्री राधे।
"रे चित्त!तेरे हित के लिए तुझे सावधान किये देता हूँ। कहीं तू उस वृन्दावन में गाय चराने वाले,नवीन नील मेघ के सामान कान्ति वाले छैल को अपना बंधू न बना लेना,वह सौन्दर्य रूप अमृत बरसाने वाली अपनी मंद मुस्कान से तुझे मोहित करके तेरे प्रिय समस्त विषयो को तुरंत नष्ट कर देगा।"
जय श्री राधे।
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