स्वर्गलोक
और ब्रह्मलोक मे भी आनन्द नही है। फ़िर हम मृत्युलोक के आंशिक ऐश्वर्य से
आनन्द प्राप्ति की कामना करें ,यह महान पागलपन है। हमे गम्भीरतापूर्वक
सोचना चाहिए की ईश्वर को छोड़ कर जीव का वास्तविक आनन्द अन्यत्र कहीं भी
नही हो सकता क्योंकि शेष सब प्रकृति के आधीन हैं एवं प्रकृति के राज्य मे
आत्मा का सुख सर्वथा असम्भव है।
------ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महराज।
------ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महराज।
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