सद्गुरु
के पास किसी को इंकार नहीं है। जो डूबने को राजी है सद्गुरु उसे लेने को
तैयार है। वह शर्ते नहीं रखता। वह पात्रताओं के जाल खडे नहीं करता। अपात्र
को पात्र बना ले, वही तो सद्गुरु है। अयोग्य को योग्य बना ले वही तो
सद्गुरु है। संसारी को सन्यासी बना ले, वही तो सद्गुरु है।
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