क्षण
- क्षण अपना, साधना तथा सेवा में व्यतीत करो। आज का दिन फिर ना मिले,
दुबारा मानव देह फिर मिले ना मिले। इस समय तो मानव देह भी मिला है , और
गुरु भी मिल गया है। फिर भी लापरवाही क्यों ? इससे अच्छा अवसर फिर आसानी से
नहीं मिलने वाला, बार बार सोचो
....श्री कृपालु जी महाराज।
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