जो जिस भाव से जितनी मात्रा में शरणागत होता है बस मैं उसको उतनी ही मात्रा में अपनापन , प्यार , कृपा , स्प्रिचुअल पावर देता हूँ ! पूरा चाहते हो तो पूरी शरणागति , अधूरा चाहते हो तो अधूरी शरणागति कर लो ! बिल्कुल नहीं चाहते तो शरीर को पटकते जाओ मन संसार में आसक्त रहे , ऐसा कर लो ! तुम्हें जो फल चाहिये वैसा ही कर्म करो !
****श्री महाराज जी .
****श्री महाराज जी .
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