यदि दैन्यं त्वत्कृपाहेतुर्न तदस्ति ममाण्वपि ।
तां कृपां कुरु राधेश ययाते दैन्य माप्नुयाम् ॥
अर्थात् ' हे श्रीकृष्ण ! यदि दीनता से ही तुम कृपा करते हो तो वह मेरे पास थोडा भी नहीं है । अतः पहले ऐसी कृपा करो कि दीन भाव युक्त बनुँ । ' ऐसा कहकर आँसू बहाओ । यह करना पडेगा । मानव देह क्ष्यणिक है । जल्दि करो, पता नहीं कब टिकट कट जाय ॥
------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
तां कृपां कुरु राधेश ययाते दैन्य माप्नुयाम् ॥
अर्थात् ' हे श्रीकृष्ण ! यदि दीनता से ही तुम कृपा करते हो तो वह मेरे पास थोडा भी नहीं है । अतः पहले ऐसी कृपा करो कि दीन भाव युक्त बनुँ । ' ऐसा कहकर आँसू बहाओ । यह करना पडेगा । मानव देह क्ष्यणिक है । जल्दि करो, पता नहीं कब टिकट कट जाय ॥
------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
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