कृष्ण मुस्कुराये कहा गोविंद राधे |
मैंने जानि जानि के ना पोता बता दे ||
भावार्थ- श्रीकृष्ण ने स्मित हास्य के साथ कहा स्वामी मैंने जानबूझकर ऐसा किया है |
निज धाम जाने के गोविंद राधे |
पूर्व व्याध मारेगा बाण बता दे ||
भावार्थ- यदि मैं दोनों चरणों के तलवों में खीर पोत लेता तो आपके आशीर्वाद से मुझे शरीर के किसी स्थान पर कोई अस्त्र असर ही न करता | अब अपने धाम जाने के पूर्व एक व्याध द्वारा मारा गया बाण इस कार्य का निमित बनेगा |
श्री गुरु चरणों में गोविंद राधे |
शरणागति हो तो हरि ते मिला दे ||
भावार्थ- यदि जीव की गुरु चरणों में शरणागति हो जाय तो उसे निशित रूप से हरि दर्शन प्राप्त हो जायेगा |
..................राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).
मैंने जानि जानि के ना पोता बता दे ||
भावार्थ- श्रीकृष्ण ने स्मित हास्य के साथ कहा स्वामी मैंने जानबूझकर ऐसा किया है |
निज धाम जाने के गोविंद राधे |
पूर्व व्याध मारेगा बाण बता दे ||
भावार्थ- यदि मैं दोनों चरणों के तलवों में खीर पोत लेता तो आपके आशीर्वाद से मुझे शरीर के किसी स्थान पर कोई अस्त्र असर ही न करता | अब अपने धाम जाने के पूर्व एक व्याध द्वारा मारा गया बाण इस कार्य का निमित बनेगा |
श्री गुरु चरणों में गोविंद राधे |
शरणागति हो तो हरि ते मिला दे ||
भावार्थ- यदि जीव की गुरु चरणों में शरणागति हो जाय तो उसे निशित रूप से हरि दर्शन प्राप्त हो जायेगा |
..................राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).
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