बार बार क्षमा माँगे गोविंद राधे |
बार बार पाप करे कैसे क्षमा दे ||
भावार्थ- श्यामसुन्दर जीव से कहते हैं, तू बार बार क्षमा याचना करता है बार-बार पाप करता है | फिर क्षमा माँगने का क्या अर्थ हैं?
मन ते तो पाप करे गोविंद राधे |
मुख ते क्षमा माँगे कैसे क्षमा दे ||
भावार्थ- भगवान् कहते हैं हे जीव ! तू मुख से तो क्षमा याचना करता है परन्तु मन से पाप करता है | फिर तुझे क्षमा कैसे प्राप्त होगी ? भगवान् तो सर्वान्तर्यामी हैं उनसे जीव के मन का भाव छिपा नहीं है अत: मन को शुद्ध करना होगा |
गुरु जापै कृपा करे गोविंद राधे |
वाके पाछे हरि चलें सब को बता दे ||
भावार्थ- गुरु कृपा जिस पर होती है हरि उसके पीछे-पीछे चलते हैं |
.राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).
बार बार पाप करे कैसे क्षमा दे ||
भावार्थ- श्यामसुन्दर जीव से कहते हैं, तू बार बार क्षमा याचना करता है बार-बार पाप करता है | फिर क्षमा माँगने का क्या अर्थ हैं?
मन ते तो पाप करे गोविंद राधे |
मुख ते क्षमा माँगे कैसे क्षमा दे ||
भावार्थ- भगवान् कहते हैं हे जीव ! तू मुख से तो क्षमा याचना करता है परन्तु मन से पाप करता है | फिर तुझे क्षमा कैसे प्राप्त होगी ? भगवान् तो सर्वान्तर्यामी हैं उनसे जीव के मन का भाव छिपा नहीं है अत: मन को शुद्ध करना होगा |
गुरु जापै कृपा करे गोविंद राधे |
वाके पाछे हरि चलें सब को बता दे ||
भावार्थ- गुरु कृपा जिस पर होती है हरि उसके पीछे-पीछे चलते हैं |
.राधा गोविंद गीत ( जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ).
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