येषां संस्मरणात पुंसां सधयःशुद्धयन्ति वै गृहाः
किं पुनदर्शनस्पर्शपादशौचासनादिभिः (भागवत - 1 -19 -33 )
शास्त्र कहते है की गुरु के स्मरण मात्र से ही अन्तः करण रूपी गृह शुद्ध हो जाता है. फिर उनके साक्षात् दर्शन, उनके श्री चरणों का स्पर्श, उनके श्री युगल चरणों का प्रक्षालन, उनका सानिध्य एवं सत्संग आदि मिल जाये, ये तो हम कलयुग के अधम जीवो का परम सौभाग्य है, ये विशेष भगवत्कृपा है.
किं पुनदर्शनस्पर्शपादशौचासनादिभिः (भागवत - 1 -19 -33 )
शास्त्र कहते है की गुरु के स्मरण मात्र से ही अन्तः करण रूपी गृह शुद्ध हो जाता है. फिर उनके साक्षात् दर्शन, उनके श्री चरणों का स्पर्श, उनके श्री युगल चरणों का प्रक्षालन, उनका सानिध्य एवं सत्संग आदि मिल जाये, ये तो हम कलयुग के अधम जीवो का परम सौभाग्य है, ये विशेष भगवत्कृपा है.
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