बिना कहे सेवा जो करे योग्य शिष्य वो होता है ,बिना कहे सेवा करता है , आइडिया ( idea ) लगा करके , गुरु को क्या चाहिये इस समय , क्या आवश्यकता है, उनको ? और नं .2 की सेवा है , हम नहीं जान पाते क्या चाहिए , तो गुरु ने जो आज्ञा दी, उसको अपना सौभाग्य मानकर सहर्ष सेवा करे , ये नं .2 की सेवा है। और अब गुरु जी ने कहा है तो करना पड़ेगा , ये सोचकर के सेवा करें ये थर्ड क्लास (third class) की सेवा है , और सेवा की सामर्थ्य होते हुए भी कह दे , झूठ बोल दे कि , मैं नहीं कर सकता , ये नामापराध है।
::::::::::::जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज:::::::::::::
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