किसी महापुरुष या साधक का अपमान करना भी घोर कुंसग है | साधकगण बहुधा अपने आपको तथा अपने महापुरुष को ही सत्य समझते हैं, शेष साधकों एवं महापुरुषों में दुर्भावना-पूर्ण निर्णय देते हैं | यह महान भूल है | इससे नामापराध हो जायेगा, जिसके परिणामस्वरूप अपना महापुरुष तथा अपना इष्टदेव भी प्रसन्न न हो सकेगा; क्योंकि समस्त महापुरुष तथा भगवान् परस्पर एक ही हैं |
.....जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज........................ ........
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