Thursday, March 7, 2013

देवदुर्लभ मानव देह अनन्त जीवों में किसी किसी भाग्यशाली को मिलता है। यानी पुरे ब्रह्माण्ड में केवल 7 अरब मानव हैं। जब कि एक फुट के गड्ढे में 7 अरब जीव रहते हैं। सोचो की तुम कितने भाग्यशाली हो।
फिर उन पाँच अरब में भी वे और भी भाग्यशाली हैं जो भारत में जन्म लिये हैं क्योंकि यहाँ जन्म से ही भगवान् का शब्द सुनने में आता है।
फिर भारत में भी वे और भी भाग्यशाली हैं जिनको कोई महापुरुष मिल गया है। जिसके पीछे भगवान् चरणधूलि के लिये चलते हैं।
फिर उन भाग्यशालियों में भी वे और भी भाग्यशाली हैं जो गृहस्थ के प्रपंच से गुरु द्वारा बचाये गये हैं।
फिर उनके भाग्य की सराहना कितनी की जाय जो गुरु आश्रम में परम त्यागमय जीवन - युक्त गुरु की सेवा करते हैं। इससे अधिक सौभाग्य असम्भव है।
~~~~~~~~~~जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज~~~~~~~~~~~
देवदुर्लभ मानव देह अनन्त जीवों में किसी किसी भाग्यशाली को मिलता है। यानी  पुरे ब्रह्माण्ड में केवल 5 अरब मानव हैं। जब कि एक फुट के गड्ढे में 5 अरब जीव रहते हैं। सोचो की तुम कितने भाग्यशाली हो।
फिर उन पाँच अरब में  भी वे और भी भाग्यशाली हैं जो भारत में जन्म लिये हैं क्योंकि यहाँ जन्म से ही भगवान् का शब्द सुनने में आता है।
फिर भारत में भी वे और भी भाग्यशाली हैं जिनको कोई महापुरुष मिल गया है। जिसके पीछे भगवान् चरणधूलि के लिये चलते हैं।
 फिर उन भाग्यशालियों में भी वे और भी भाग्यशाली हैं जो गृहस्थ के प्रपंच से गुरु द्वारा बचाये गये हैं।
फिर उनके भाग्य की सराहना कितनी की जाय जो गुरु आश्रम में परम त्यागमय जीवन - युक्त गुरु की सेवा करते हैं। इससे अधिक सौभाग्य असम्भव है।
~~~~~~~~~~जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज~~~~~~~~~~~

 

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