खल मिलि दु:ख देत गोविंद राधे |
सन्त बिछुरि दुख देत बता दे ||
भावार्थ- दुष्टों के मिलन में महान दु:ख की प्राप्ति होती है तो संतों के वियोग में |
... नारियल सम सन्त गोविंद राधे |
बाहर कठोर भीतर मधुर बता दे ||
भावार्थ- संतजन नारियल फल के समान बाहर से कठोर तथा भीतर से सरस होते हैं |
बेर फल सम खल गोविंद राधे |
भीतर कठोर बाहर मधुर बता दे ||
भावार्थ- दुर्जन बेर के फल के समान बाहर मनोहर और भीतर से कठोर होते हैं |
खलमुख पद्मदल गोविंद राधे |
वाणी मधुर उर कैंची बता दे ||
भावार्थ- दुष्टों के मुख की वाणी कमल-दल के समान सुन्दर और मधुर अनुभव होती है किन्तु उनके हृदय में कपट की कैंची सी चला करती हैं |
..................राधा गोविंद गीत--------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
सन्त बिछुरि दुख देत बता दे ||
भावार्थ- दुष्टों के मिलन में महान दु:ख की प्राप्ति होती है तो संतों के वियोग में |
... नारियल सम सन्त गोविंद राधे |
बाहर कठोर भीतर मधुर बता दे ||
भावार्थ- संतजन नारियल फल के समान बाहर से कठोर तथा भीतर से सरस होते हैं |
बेर फल सम खल गोविंद राधे |
भीतर कठोर बाहर मधुर बता दे ||
भावार्थ- दुर्जन बेर के फल के समान बाहर मनोहर और भीतर से कठोर होते हैं |
खलमुख पद्मदल गोविंद राधे |
वाणी मधुर उर कैंची बता दे ||
भावार्थ- दुष्टों के मुख की वाणी कमल-दल के समान सुन्दर और मधुर अनुभव होती है किन्तु उनके हृदय में कपट की कैंची सी चला करती हैं |
..................राधा गोविंद गीत--------जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज.
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