बार-बार सोचो , बार-बार सोचो, बस वो मिल जायेंगे। हम इंद्रियों से तो बहुत साधना करतें हैं , जबान से राम राम , श्याम श्याम, राधे राधे । तीर्थो में जाते हैं,मंन्दिरों में जाते है ,पैर से मार्चिंग करते हैं। पूजा करते है हाथ से, आँख से देखते है मूर्ति को, कान से सुनते है भागवत पुराण , गर्ग पुराण , गरुड़ पूराण वगैरह ये इन्द्रियों का वर्क है। भगवान कहते हैं ये सब हम नहीं चाहते, न नोट करते है इसको हम। तुम्हारे मन का अटैचमेंट कितने परसेंट हुआ भगवान मे बस इसको ही प्यार, भक्ति, साधना कहते हैं ।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज।
No comments:
Post a Comment