यह सत्य है कि मन अत्यंत चंचल है किन्तु यदि मन को बार बार समझाया जाय कि श्रीराधा ही तेरी हैं , सांसारिक नातेदार तो केवल शरीर के हैं और उन नातों का आधार केवल स्वार्थ ही है तो धीरे धीरे मन संसार से विरक्त होकर श्री राधा में अनुरक्त हो जाएगा ।
-------श्री महाराजजी।
No comments:
Post a Comment