अहंकार से बचना और अपमान न फील करना,यह साधना की आधारशिला है। यह चीज साधना करने वाले जीवों के लिये श्रीगणेश है। इस चीज को भगवत्प्राप्ति तक समझना है। पांचो इन्द्रियों को जीतना और स्त्री,पति,बाप बेटे किसी में अनुराग न करना संभव है अगर यह चीजें आपके मार्ग में बाधक नहीं हैं, किन्तु मान अपमान की फीलिंग जब तक ठीक नहीं बैठती, आप में अहंकार सदा रहेगा, एवं बढ़ता ही जायेगा। संकीर्तन में आपके आंसू नहीं आते यह अहंकार के कारण है और अगर आंसू आते है और सोचता है मेरे आंसू आते है यह सूक्ष्म अहंकार है।
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