यह तो #संसार है इसमे सब कुछ कहने वाले लोग हैं ,#सही भी,#गलत भी। फिर गलत कहने वाले तो 99 परसेंट(percent) हैं, #सत्वगुणी #बुद्धि हुई तो सत्वगुणी बात कहने लगे, #रजोगुणी बुद्धि हुई तो हमारा निर्णय रजोगुणी हो गया, #तमोगुणी बुद्धि हुई तो एक दम से तमोगुण बात बोलने लगे। इसलिये जब हमारी स्वयं की बुद्धि ही एक सी नहीं रहती तो दूसरों से हम क्यों आशा करते हैं कि वह हमारी बात का समर्थन ही करेगा। ये कभी #सतयुग में नहीं हुआ,#त्रेतायुग में नहीं हुआ,#द्वापर में नहीं हुआ,फ़िर आज क्यों होगा? सारे #संतों ने इसलिए लिखा "तुम किसी की और मत देखो न किसी की सुनों बस,अपना काम करो।"
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