Saturday, August 11, 2018

ये पाँच कर्मेन्द्रियाँ,पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ,पाँच प्राण,मन,बुद्धि,अहंकार... ये अठारह तत्व मरने के बाद भी साथ जाया करते हैं हर योनि में हर जन्म में। ये आपकी बुद्धि इसी जन्म की नहीं है,ये अनन्त जन्मों की पली पोसी बड़ी डेवलप(Develop) की हुई बुद्धि है। लेकिन केवल इतना ही सीखा आपकी बुद्धि ने कि संसारी स्वार्थ सिद्धि के लिये क्या क्या करना चाहिये संसारियों के प्रति। वो आप करते हैं। सफलता मिली,कम मिली,नहीं मिली,कहीं उल्टा हो जाता है, कहीं चप्पलें मिलती हैं बीच बीच में आपको। लेकिन आप उसी क्षेत्र में हैं अपना उसी में आगे बढ़ रहे हैं।
#जगद्गुरु_श्री_कृपालु_जी_महाराज

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