उस
ईश्वर को युगों तक परिश्रम करके भी कोई नहीं जान सकता है किंतु उस ईश्वर
की जिस पर कृपा हो जाती है वह उसे पूर्णतया जान लेता है एवं कृतार्थ हो
जाता है। सर्वात्म-समर्पण से मुक्ति एवम् भगवत्कृपा का लाभ हो सकता है।
हमें ईश्वर के शरणागत हो जाना है ऐसी शरणागत के आधार पर ही ईश्वर कृपा
निर्भर है। जो-जो जीव आत्माएं उसके शरणागत हो गई, वह-वह अपने परम चरम
लक्ष्य परमानंद को प्राप्त कर चुकी हैं एवम् जो शरणागत नहीं हुई है उन्ही
के ऊपर ईश्वर की कृपा नहीं हुई है एवं वही अपने लक्ष्य से वंचित होकर 84
लाख योनियो में काल, कर्म, स्वभाव, गुणाधीन होकर चक्कर लगा रही हैं।
---- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
---- जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज।
No comments:
Post a Comment