जो
मेरी ही शरण में आ जाता है उसके अनन्त जन्म के पाप को नाश कर देता हूँ !
तो फिर पाप पाप की बात क्यों खोपड़ी में लगी है तेरे ? मैं पूर्ण शरणागत के
थोड़े से पापों को नहीं , 'सर्वपापेभ्यो ' समस्त पापों को नष्ट कर देता
हूँ और आगे पाप न करेगा ये ठेका ले लेता हूँ ! गारण्टी ! लेकिन प्रपन्न
होना होगा ! प्रपन्न माने पूर्ण शरणागति यानी मन बुद्धि भी शरणागत हो !
अपनी बुद्धि न लगा ! मन भी मुझे दे दे !
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ।
.........जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ।
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