चाहे
जैसी भी परिस्थिति हो सदैव हरि-गुरु के अनुकूल ही चिन्तन करो । प्रतिकूल
परिस्थिति में भी अनुकूल चिन्तन बना रहे तभी समझो कि हमारी स्थिति ठीक है।
चाहे कैसी भी कठिन सेवा हो या आज्ञा हो उसके पालन में प्राणपन से बलिहार
जाना चाहिए।
--------सुश्री श्रीधरी दीदी (जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका)।
--------सुश्री श्रीधरी दीदी (जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका)।
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