भगवान्
और संत ये दो पर्सनैलिटी (personality ) ऐसी हैं जो शरीर से अलग हुए तो
दिखायी पड़ते हैं। एक्टिंग ( acting ) में किसी को छोड़कर जीवन भर को
वियोगी बना सकते हैं लेकिन अन्दर से कभी भी अलग नहीं हो सकते। हमारा शरीर
नहीं रहता तब भी वह रहते हैं। नरक में भी वे हमारे साथ रहते हैं और बैकुण्ठ
में भी हमारे साथ रहते हैं। वे हमारा साथ छोड़ देंगे , ऐसा कभी समझना ही
नहीं चाहिए। समझना हीं नहीं - अनुभव करना चाहिए।
~~~~~~~ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज~~~~~~~
~~~~~~~ जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज~~~~~~~
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