जब तक माया के अधीन हो तब तक क्यों सोचते हो के मैं प्रशंसा के योग्य हूँ. जब तक तुम शरणागत नहीं हुए हो तब तक तुम्हे अहंकार किस बात का? किसी भी जीव का वास्तविक रूप दासत्व प्राप्त करना है. श्री कृष्ण के दास बन जाओ फिर खूब अहंकार करो, हम छूट देते हैं लेकिन उस समय तुम अहंकार कर ही नहीं सकते -यह वैसे ही है जैसे खरगोश के सींग नहीं लगाये जा सकते. इसलिए अहंकार से सदा सावधान रहो !
*******जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज********
*******जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज********
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