सकल सुमंगल धाम हैं, सतगुरु के चरणार l
चरण कमल में वंदना, बार बार नमस्कार ll
चरण कमल गुरुदेव के, जो जन हिय बसाए l
अगम अपार भव सिन्धु से, सहजे ही तर जाए ll
...
जीवों को लख कर दुखी, लिया प्रभु अवतार l
परमहंस के रूप में, प्रकटे या संसार ll
सदुपदेश सुनाय कर, सत्पथ रहे दिखाय l
माया काल के फंद से, रहे हैं जीव छुड़ाय ll
भक्ति पंथ दरसाय कर, किया अमित उपकार l
भवसागर में डूबते, लीन्हे जीव उबार ll
जो माने सतगुरु वचन, भ्रम संशय मिट जाए l
आधि व्याधि नाशे सकल, सुख में रहे समाय ll
भक्ति के हैं जगत में, दाता सतगुरुदेव l
ताते श्रद्धा भाव से, करो गुरु की सेव ll
सतगुरु बिन नहीं जीव का, परम हितैषी और l
सो सौभागी जीव है, पावे चरणन ठौर ll
परम पुरुष सतगुरु मिले, बड़े पुण्य परताप l
दर्शन करत ही मिटत हैं, पाप ताप संताप ll
नाम अमोलक बक्श कर, किया बहुत उपकार l
जो जन सुमिरे भाव से, पावे सुख अपार ll
भवसागर का पोत है, गुरु का साचा नाम l
ताते श्रद्धा भाव से, सुमिरो आठों याम ll
महिमा सतगुरुदेव की, अगम अनन्त अपार l
हारे शेष अरु शारदा, वेद न पावें पार ll
भवसागर गंभीर में, डूब रहा संसार.
चरण कमल में वंदना, बार बार नमस्कार ll
चरण कमल गुरुदेव के, जो जन हिय बसाए l
अगम अपार भव सिन्धु से, सहजे ही तर जाए ll
...
जीवों को लख कर दुखी, लिया प्रभु अवतार l
परमहंस के रूप में, प्रकटे या संसार ll
सदुपदेश सुनाय कर, सत्पथ रहे दिखाय l
माया काल के फंद से, रहे हैं जीव छुड़ाय ll
भक्ति पंथ दरसाय कर, किया अमित उपकार l
भवसागर में डूबते, लीन्हे जीव उबार ll
जो माने सतगुरु वचन, भ्रम संशय मिट जाए l
आधि व्याधि नाशे सकल, सुख में रहे समाय ll
भक्ति के हैं जगत में, दाता सतगुरुदेव l
ताते श्रद्धा भाव से, करो गुरु की सेव ll
सतगुरु बिन नहीं जीव का, परम हितैषी और l
सो सौभागी जीव है, पावे चरणन ठौर ll
परम पुरुष सतगुरु मिले, बड़े पुण्य परताप l
दर्शन करत ही मिटत हैं, पाप ताप संताप ll
नाम अमोलक बक्श कर, किया बहुत उपकार l
जो जन सुमिरे भाव से, पावे सुख अपार ll
भवसागर का पोत है, गुरु का साचा नाम l
ताते श्रद्धा भाव से, सुमिरो आठों याम ll
महिमा सतगुरुदेव की, अगम अनन्त अपार l
हारे शेष अरु शारदा, वेद न पावें पार ll
भवसागर गंभीर में, डूब रहा संसार.
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