भगवत्कृपा का सबसे पक्का प्रमाण , भगवज्जन मिलन है , कृपा से लाभ लेना तभी संभव है , जब इस कृपा को बार - बार चिंतन में लाया जाय । भगवज्जन का यदि दर्शन मात्र प्राप्त हो जाय तो बार - बार चिंतन कर आनन्द विभोर होना चाहिए । क्योंकि उनके दर्शन को पाने या दिलाने की सामर्थ्य किसी भी साधना में नहीं है । यदि दर्शन के अतिरिक्त और भी सामीप्य मिल जाय फिर तो बात ही क्या है। यदि उस अमूल्य निधि को पाकर भी साधारण भावना या चिन्तन रहा तो महान कृतघ्नता एवं महान दुर्भाग्य ही होगा , क्योंकि इससे अधिक हमें क्या पाना शेष है।
~~~~~~~~~जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज~~~~~~~~~
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