Wednesday, January 16, 2013




वास्तविक गुरु के दिये हुए ज्ञान को सदा पुनरावृत्ति (मनन) के द्वारा पक्का करते रहना चाहिये अन्यथा मायाबद्ध होने के कारण अनादिकालीन अज्ञान उस ज्ञान पर हावी होकर उसे भुला देता है।
...........श्री कृपालुजी महाप्रभु।

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